कांग्रेस के नेता मेरी टिकट की चिंता न करके अपनी पार्टी की अंतर कलह पर ध्यान दें - कमलेश कुमारी
हाल ही में, भाजपा नेता कमलेश कुमारी ने कांग्रेस के नेताओं पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि कांग्रेस के नेता उनकी टिकट को लेकर चिंता करने के बजाय अपनी पार्टी के भीतर चल रही अंतर कलह पर ध्यान दें।

हाल ही में, भाजपा नेता कमलेश कुमारी ने कांग्रेस के नेताओं पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि कांग्रेस के नेता उनकी टिकट को लेकर चिंता करने के बजाय अपनी पार्टी के भीतर चल रही अंतर कलह पर ध्यान दें। यह बयान ऐसे समय में आया है ज़ब कांग्रेस पार्टी के मंडल अध्यक्ष ने उनकी टिकट के ऊपर टिप्पणी की। कमलेश कुमारी के इस बयान से साफ है कि वह कांग्रेस के नेताओं द्वारा उनके संभावित टिकट को लेकर की जा रही टिप्पणियों से नाखुश हैं और उन्हें अपनी पार्टी की आंतरिक समस्याओं को सुलझाने की सलाह दे रही हैं। यह तंज दर्शाता है कि कमलेश कुमारी आत्मविश्वास से भरी हैं और उन्हें अपनी पार्टी में अपनी स्थिति को लेकर कोई चिंता नहीं है।
कमलेश कुमारी ने कहा भगवान राम और सरदार वल्लभभाई पटेल उन के राजनीतिक जीवन के आदर्श हैं उन्होंने भगवान राम के जीवन का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान राम ने अपने पिता दशरथ के वचन का मान रखने के लिए सहर्ष राजपाट का त्याग कर 14 वर्ष का वनवास स्वीकार किया। यह उनकी कर्तव्यनिष्ठा, पितृभक्ति और त्याग की भावना का सर्वोच्च उदाहरण है। उन्होंने बिना किसी विरोध या असहमति के अपने भाग्य को स्वीकार किया, जो उन्हें 'मर्यादा पुरुषोत्तम' बनाता है। यह घटना दर्शाती है कि कुछ मूल्यों के लिए व्यक्तिगत आकांक्षाओं का त्याग कितना महत्वपूर्ण हो सकता है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव पर चर्चा करते हुए कमलेश कुमारी ने बताया कि सन 1946 में प्रांतीय कांग्रेस समितियों (PCCs) से मिले 15 में से 12 नामांकन सरदार वल्लभभाई पटेल के पक्ष में थे। जवाहरलाल नेहरू को बहुत कम समर्थन मिला था, और महात्मा गांधी की इच्छा थी कि नेहरू ही कांग्रेस के अध्यक्ष बनें, क्योंकि वे उन्हें स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में देखते थे। इस स्थिति में, सरदार पटेल ने गांधी जी के अनुरोध को स्वीकार करते हुए अपनी दावेदारी वापस ले ली। इसके बाद जवाहरलाल नेहरू निर्विरोध कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए और बाद में भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। सरदार पटेल का यह निर्णय त्याग, अनुशासन और पार्टी के प्रति निष्ठा का एक बड़ा उदाहरण था। उन्होंने व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं से ऊपर उठकर राष्ट्र के व्यापक हित और गांधी जी के दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी।
दोनों ही घटनाएँ, चाहे वह पौराणिक हो या ऐतिहासिक, दर्शाती हैं कि कैसे कुछ महान व्यक्तियों ने व्यापक उद्देश्यों और उच्च आदर्शों के लिए व्यक्तिगत पद और शक्ति का त्याग किया। कमलेश कुमारी ने कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के समर्पित लाखों निस्वार्थ भाव से काम करने वाले कार्यकर्ताओं के साथ काम करने का मुझे मौका मिला है। मेरे लिए यही बड़े सौभाग्य की बात है। भारतीय जनता पार्टी ने जब मुझे संगठन में काम करने का मौका प्रदान किया तो मैंने ईमानदारी से संगठन में काम किया और जब चुनाव लड़ने का मौका दिया तो ग्राम पंचायत प्रधान, जिला परिषद सदस्य और विधायक का चुनाव में पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ताओं की मेहनत और सहयोग से मैं प्रधान जिला परिषद मेंबर और विधायक भी बनी। मैं भारतीय जनता पार्टी की रिणी हूँ। इस देश के लिए महापुरुशों ने अपना सर्वस्व वलिदान किया है। इस पार्टी की नींव लाखों लोगों के वलिदान से बनी है। मेरी पार्टी के प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री सांसद और विधायक की जीत ही मेरी जीत है। एक लाख से अधिक लोगों में से एक विधायक वनता है। 25 से तीस लाख लोगों में से एक सांसद बनता है एक प्रदेश का एक ही मुख्यमंत्री और देश का एक प्रधानमंत्री बनता है। एक विधानसभा क्षेत्र में सेंकड़ो लोग विधायक बनने की योग्यता रखते हैं। 99 लोगों को त्याग करना पड़ता है तब एक व्यक्ति विधायक बनता है। त्याग और बलिदान हमारी प्राचीन परम्परागत धरोहर है। मैं पार्टी की अनुशाषित सिपाही रहूंगी और आजीवन भारतीय जनता पार्टी में जो भी जिम्मेदारी मिलेगी उसे ईमानदारी से निभाऊंगी।