सीएम सुक्खू ने छीना हिमाचल के बच्चों का भविष्य: राजेंद्र राणा
सीएम सुक्खू ने छीना हिमाचल के बच्चों का भविष्य: राजेंद्र राणा

सुजानपुर के पूर्व विधायक और राजेंद्र राणा ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा है कि हिमाचल की कांग्रेस सरकार प्रदेश के इतिहास की सबसे क्रूर, असंवेदनशील और जनविरोधी सरकार बन गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के हालिया फैसले छात्रों और बेरोजगारों के भविष्य को तबाह करने वाले हैं, और अब यह अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आज यहां जारी एक बयान में राजेंद्र राणा ने कहा कि सरकार द्वारा एमबीबीएस में हिमाचली बोनाफाइड छात्रों के लिए निर्धारित 85% आरक्षण कोटा खत्म किया जाना न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि लाखों छात्रों और उनके माता-पिता के सपनों पर कुठाराघात है। वर्षों से जो कोटा राज्य के मूल निवासियों के लिए सुरक्षित था, उसे सत्ता के नशे में चूर सुक्खू सरकार ने बिना सोचे-समझे खत्म कर दिया।
उन्होंने कहा कि अब वे छात्र जो सिर्फ हिमाचल के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश की तैयारी कर रहे थे, उनके सपनों को बेरहमी से कुचल दिया गया है। यह फैसला न केवल शिक्षा विरोधी है, बल्कि हिमाचली छात्रों के साथ सीधा अन्याय है। राणा ने चेताया कि यदि सरकार ने जल्द यह निर्णय वापस नहीं लिया, तो पूरे प्रदेश में जनआंदोलन छेड़ा जाएगा। पूर्व विधायक ने कहा कि युवाओं के साथ यह सरकार लगातार छल कर रही है। पहले से ही भर्तियों के परिणाम लटकाकर उन्हें मानसिक पीड़ा दी जा रही थी, और अब “ट्रेनिंग आधारित ठेका नीति” के जरिए नियमित और अनुबंध आधारित नौकरियों का विकल्प खत्म कर बेरोजगारी का दायरा और बढ़ाया जा रहा है। राजेंद्र राणा ने कहा कि सुक्खू सरकार ने प्रदेश के बेरोजगार युवाओं की पीड़ा को मज़ाक बना दिया है। ना तो भर्तियां हो रही हैं, ना परीक्षा परिणाम घोषित किए जा रहे हैं, और जो कुछ अवसर थे, उन्हें भी योजनाबद्ध ढंग से समाप्त किया जा रहा है। ऐसे में युवाओं के भविष्य के प्रति चिंतित माता-पिता की बेचैनी बढ़ती जा रही है।उन्होंने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया कि गंभीर प्राकृतिक आपदा और जनाक्रोश के बीच भी वे सिर्फ अपनी छवि चमकाने में लगे हुए हैं। “मुख्यमंत्री की प्राथमिकता सिर्फ वीडियो और फोटो सेशन है, असल मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं है। प्रदेश का हर वर्ग आहत है, गांव-गांव में आक्रोश है, और जनता अब जवाब मांग रही है। राजेंद्र राणा ने स्पष्ट किया कि अब सब्र का बांध टूट चुका है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि हिमाचली छात्रों का 85% एमबीबीएस कोटा बहाल नहीं किया गया और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शी एवं युवावर्द्धक बदलाव नहीं किए गए, तो यह लड़ाई सड़कों पर लड़ी जाएगी। छात्रों और बेरोजगारों के भविष्य से खेलने वालों को अब हिसाब देना ही होगा।